Friday, May 04, 2012

स्कूलों में दस हजार शिक्षकों की कमी

स्कूलों में दस हजार शिक्षकों की कमी
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो : दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि जब सरकार ने शहर में 961 स्कूल खोल रखे हैं, तो लोग पब्लिक स्कूलों की ओर क्यों भागते हैं? उन्हें इन स्कूलों में महंगी फीस भरने की क्या दरकार है, लेकिन सरकार की यह दलील सुविधाओं के मामले में कहीं टिकती नहीं जान पड़ती। सरकार भले ही बेहतर रिजल्ट का दावा करती हो, लेकिन इन स्कूलों की हालत की तुलना, निजी स्कूलों से नहीं की जा सकती। पूरे मामले पर पेश है दैनिक जागरण की रिपोर्ट। दिल्ली की पौने दो करोड़ की आबादी के लिए सरकार ने शहर में 961 स्कूल खोल रखे हैं, जिसमें 14 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शहर की आबादी का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार उसी तेजी से नए स्कूल नहीं खोल पा रही। परिणाम यह है कि एक-एक क्लास में 60 से 100 तक की संख्या में बच्चों को दाखिल कर दिया गया है। एक क्लास में 45 बच्चों की सिफारिश : अशोक गांगुली कमेटी ने दिल्ली की स्कूली शिक्षा को लेकर सौंपी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि किसी भी क्लास में 45 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए। ज्यादातर निजी स्कूलों में इस पद्धति का पालन किया जाता है, लेकिन सरकारी स्कूल ऐसा नहीं कर पा रहे। शिक्षकों का भारी अभाव : सरकार भी मानती है कि इन स्कूलों में करीब आठ हजार शिक्षकों की कमी है। हालांकि यह कमी दस हजार से ज्यादा बताई जाती है। 100 स्कूलों की तत्काल जरूरत : जानकारों की मानें, तो जिस तेजी से दिल्ली की जनसंख्या में इजाफा हो रहा है, उसे देखते हुए तत्काल कम से कम 100 नए स्कूल खोले जाने की जरूरत है, लेकिन जमीन की कमी का रोना रोकर सरकार ऐसा नहीं कर रही। दोनों पाली को चलाने का काम भी सही से नहीं हो पा रहा। मंत्रियों, विधायकों के बच्चे क्यों नहीं पढ़ते सरकारी स्कूलों में : दिल्ली सरकार आम लोगों को भले ही सरकारी स्कूलों की राह दिखाती हो, लेकिन तमाम मंत्री, विधायक और आला अधिकारी तक इन स्कूलों को अपने बच्चों की पढ़ाई के काबिल नहीं समझते। निजी स्कूलों की तुलना में सुविधाएं नहीं : सरकार चाहे जो दावे करती हो, लेकिन पब्लिक स्कूलों की तुलना में इन स्कूलों की हालत बेहद खराब है। जिस प्रकार का माहौल निजी स्कूल उपलब्ध कराते हैं, उसकी तुलना में ये स्कूल कहीं नहीं टिकते। पब्लिक स्कूल खोलने की कवायद : दिल्ली सरकार ने खुद भी पब्लिक स्कूल खोलने की कवायद की थी और कहा गया था कि तमाम सुविधाओं से लैस ऐसा एक स्कूल प्रीत विहार में खोला जाएगा, लेकिन अब तक इस स्कूल की नींव नहीं रखी जा सकी है। सुरक्षा में भी फिसड्डी : खजूरी खास इलाके में लड़कियों के स्कूल में भगदड़ से कई बच्चों की मौत का मामला कोई बहुत पुराना नहीं हुआ है। इस दुर्घटना ने स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल खड़े किए।

Source: Dainik Jagran

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