Tuesday, May 08, 2012

लाखों बच्चे हुए किताब-कॉपी से महरूम


लाखों बच्चे हुए किताब-कॉपी से महरूम
आशुतोष झा, नई दिल्ली बात देश के दूरदराज गांवों के स्कूलों की नहीं हो रही है। जहां आर्थिक तंगी या अन्य कारणों से स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र बिना पाठ्य पुस्तक के ही पढ़ाई करते हैं। बात है राजधानी दिल्ली की जहां एमसीडी स्कूल में पढ़ने वाले लाखों बच्चे फिलहाल बिना किताब-कॉपी के पढ़ाई कर रहे हैं। दरअसल, बेहतर सुविधा के नाम पर एकीकृत एमसीडी को जिस तरह तीन हिस्से में विभाजित किया गया। इस प्रक्रिया के चलते बीते दिनों पाठ्य सामग्री मुहैया कराने के लिए जो टेंडर आदि साल की शुरुआत में ही जारी किए जाते थे, विभाग ने कुछ दिनों पहले जारी किया। नीति स्पष्ट नहीं होने से प्रकाशक ने भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजा है कि अभी मांग के अनुरूप पुस्तकें उपलब्ध नहीं है। एमसीडी के सभी स्कूलों में नया सत्र शुरू हुए महीना भर से अधिक समय हो गया। मगर इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को प्रतिवर्ष जो पाठ्य पुस्तकें व स्टेशनरी एमसीडी की ओर से मुफ्त प्रदान की जाती रही हैं। वह इस वर्ष सत्र शुरू होने के बाद भी छात्रों को नहीं प्रदान किए जा सके हैं। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक अग्रवाल भी इसके लिए सीधे प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। पिछले कुछ महीने से शिक्षा विभाग के निदेशक का पद खाली है। इस बीच सिवा बंटवारे के प्रशासन का कहीं ध्यान नहीं गया। नतीजा है कि भुगत रहे हैं बच्चे। मालूम हो कि दिल्ली में नगर निगम के तकरीबन 1729 स्कूल हैं जिसमें कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई होती है। इनमें कुल मिलाकर दिल्ली के 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं। यह वे बच्चे हैं जिनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन इसे विभागीय उपेक्षा ही कहेंगे कि जब सर्दी बीत जाती है उसके बाद स्वेटर के बदले छात्रों को पैसे थमा अधिकारी खानापूर्ति करते हैं। इसी प्रकार नया सत्र शुरू होने से पहले पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए फंड का प्रावधान होने के बाद भी लापरवाही के चलते लाखों बच्चों के पास न किताबें न कापियां पहुंच पाती हैं। इस संबंध में जब एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर दीपक हस्तीर से बात की तो उन्होंने आश्वस्त किया कि गर्मी की छुट्टी शुरू होने से पूर्व सभी छात्रों को किताबें मिल जाएंगी।

Source: Dainik Jagran

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