Wednesday, February 22, 2012

दम तोडऩे लगा है शिक्षा का अधिकार कानून


दम तोडऩे लगा है शिक्षा का अधिकार कानून 
पंकज कुमार पांडेय त्ननई दिल्ली

हंगामेदार तरीके से 2010 में लागू हुआ शिक्षा का अधिकार कानून लगभग हर जगह दम तोड़ रहा है। बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने की बात तो दूर उनके लिए स्कूल तक भी नहीं खुल पा रहे हैं। स्कूल खोलने के नाम पर सरकारों का ठंडा रवैया कहीं मुद्दा नहीं बन पा रहा है। राइट टु एजुकेशन के दुरुस्त अमल के लिए बड़ी जरूरत शिक्षकों की भर्ती के मामले में भी राज्यों का रवैया सुस्त है। जहां स्कूल नहीं हैं उन इलाके में बच्चों को एक अदद स्कूल मिल जाए, इसकी सुध शायद सरकार में शामिल लोगों को नहीं रही। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में मंजूर 39 फीसदी प्राइमरी स्कूलों को खोला नहीं जा सका। पड़ोस के उत्तराखंड में भी 75 फीसदी स्कूल नहीं खोले जा सके।

शिक्षा क्षेत्र का दूसरा संकट शिक्षकों की कमी है। इसे दूर करने में भी कोई पहल नहीं की जा रही। मध्य प्रदेश , यूपी, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार सब जगह शिक्षकों की कमी का रोना है। शिक्षा समवर्ती सूची में तो है लेकिन स्कूली शिक्षा की सुध लेने में केंद्र और प्रदेशों का तदर्थ रवैया 2010 में शिक्षा अधिकार कानून बनने के बाद भी बरकरार है।

नई दिल्ली में दो दिन बाद यानी 22 फरवरी को शिक्षा मंत्रियों की बैठक में इस मसले पर चर्चा होने जा रही है। पहले की तरह इस बार भी राज्य धन की कमी का रोना रोएंगे। धन की कमी से पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य में 20 फीसदी स्कूलों को नहीं खोला जा सका। राजस्थान में छह फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 20 फीसदी प्राइमरी स्कूल अभी भी खुलने की बाट जोह रहे हैं। यूपी और राजस्थान में अपर प्राइमरी स्कूल भी क्रमश: छह और पांच फीसदी की संख्या में नहीं खुल पाए।

अध्यापकों की भर्ती के मामले में भी केंद्र और राज्यों की रस्साकशी जारी है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में अध्यापकों के पद रिक्त हैं। मध्य प्रदेश में एक लाख 71 हजार 267 पदों पर भरती की मंजूरी दी गई थी। अभी भी 72 हजार 980 पद खाली हैं। राजस्थान में कुल मंजूर एक लाख 14 हजार 132 पदों से अभी भी 19931 पद खाली हैं। चुनावी राज्य यूपी में मंजूरी दी गई थी चार लाख 23 हजार से ज्यादा पदों पर भरती के लिए लेकिन इनमें से तीन लाख 97 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। पश्चिम बंगाल में मंजूर एक लाख 96 हजार से ज्यादा पदों में से 83 हजार से ज्यादा नियुक्तियां ममता बनर्जी सरकार को करना बाकी है। पंजाब में 14 हजार 90 पदों पर भरती होनी थी, लेकिन 4 हजार 396 अभी भी खाली हैं। महाराष्ट्र में 41 हजार 434 पदों में से 26 हजार से ज्यादा पद खाली। बिहार में कुल 4 लाख 3 हजार से ज्यादा पदों में से 2 लाख 11 हजार से ज्यादा अभी भी रिक्त। इन आंकड़ों में राज्य सेक्टर की नियुक्तियों को नहीं शामिल किया गया। राइट टु एजुकेशन के अमल में आने पर देश भर में शिक्षकों की भरती को सबसे ज्यादा जरूरी कदम बताया गया था।

ये हालात बताते हैं कि शिक्षा अधिकार कानून किस तरह धीमी गति से चल रहा है और इसकी परवाह किसी को नहीं। 22 फरवरी को होने वाली शिक्षा मंत्रियों की बैठक में शायद ये सारे मुद्दे उठें और कोई उपाय निकाला जा सके।

Source: Dainik Bhaskar

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