Tuesday, April 03, 2012

अयोग्य सेवानिवृत्त शिक्षक दोबारा नौकरी के लिए नहीं कर सकते दावा


अयोग्य सेवानिवृत्त शिक्षक दोबारा नौकरी के लिए नहीं कर सकते दावा
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: सेवानिवृत्त शिक्षक अगर संस्थान की नजर में अयोग्य है तो वह सेवा निवृत्ति के बाद संस्थान पर दोबारा नौकरी का दावा नहीं कर सकता। यह टिप्पणी कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से सेवानिवृत्त हो चुके दो शिक्षकों शशि कोहरी और चंद्र प्रभा सूद की याचिका को खारिज कर की। जिन्होंने शिक्षा निदेशालय की एक अधिसूचना का हवाला देकर स्कूल पर फिर से नौकरी पर रखने के लिए दबाव बनाया था। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना शिक्षा में गुणवत्ता बनाने के लिए है न कि किसी को अपना फायदा लेने के लिए। दरअसल शिक्षा निदेशालय ने 29 जनवरी 2007 में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों में रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की फिर से नियुक्ति करने के बारे में स्कूल विचार कर सकता है। इसमें साफ कहा गया था कि स्कूलों को सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति से पहले उनकी बेहतरीन योग्यता और पढ़ाई की वर्तमान दक्षता की जांच कर सकता है। शिक्षा निदेशालय ने इसका अधिकार स्कूल को दिया था। दो शिक्षकों ने डीपीएस स्कूल में फिर से नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन स्कूल को उनमें अयोग्यता दिखी और उन्होंने उनके आवेदन को रद कर दिया। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका डाली जहां उनकी याचिका खारिज हो चुकी थी उसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी थी। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने कहा कि शिक्षा निदेशालय कीअधिसूचना का उद्देश्य शिक्षण संस्थान को ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बाध्य करना नहीं है जो उनकी नजर में अयोग्य हैं और अपनी उपयोगिता खो चुके हैं और जो संस्थान में नए कर्मचारियों की नियुक्ति में बाधक बनें। कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना सेवा विस्तार के जरिए अपना प्रदर्शन सुधारने की इच्छा रखने वाले शिक्षकों की सुविधा के संदर्भ में देखी जानी चाहिए। कोर्ट अपने फैसले में कहा कि अधिसूचना स्कूलों को शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति की छूट देती है।

Source: Dainik Jagran

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