Tuesday, March 20, 2012

निगम के 214 स्कूलों के पास भवन नहीं


निगम के 214 स्कूलों के पास भवन नहीं
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: राजधानी में प्राइमरी शिक्षा देने वाले निगम स्कूलों का बुरा हाल है। स्थिति यह है कि शेड, पोर्टा केबिन और अधूरे भवनों में 214 स्कूल चल रहे हैं। भले ही निगम चलाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने अरबों रुपये खर्च कर चमचमाता सिविक सेंटर तैयार कर लिया हो, लेकिन उन्होंने निगम स्कूलों की बदतर दशा को बेहतर बनाने में जरा भी दिलचस्पी नहीं ली। इसका नतीजा है कि अभी भी सैकड़ों स्कूल पूरी तरह से शेड, पोर्टा केबिन और अधूरे भवन में संचालित किए जा रहे हैं। इसका खुलासा नगर निगम द्वारा आरटीआइ के तहत दिए गए जवाब से हुआ है। बता दें कि नगर निगम स्कूलों का यह हाल तब है, जब पिछले बजट में शिक्षा पर 1127 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था। दिल्ली नगर निगम के पास जागरण संवाददाता ने आरटीआइ दाखिल किया। आरटीआइ में निगम से पूछा गया था कि उनके कितने स्कूल हैं और कितने स्कूल किस हालत में हैं। नगर निगम ने जो जवाब दिया वह देश की राजधानी में बेहतर सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहा है। निगम की ओर से उप निदेशक ने आरटीआइ का जवाब दिया। उन्होंने बताया है कि निगम के पास कुल 1233 स्कूलों की जगह है। कुछ स्कूलों में दोनों पालियों में पढ़ाई होती है। दोनों पालियों को मिलाकर संचालित स्कूलों की वास्तविक संख्या 1729 है। 813 स्कूल पूर्ण रूप से पक्के भवन में चल रहे हैं। 81 स्कूल शेड और पोर्टा केबिन में संचालित किए जा रहे हैं। निगम के 133 स्कूल अधूरे भवनों में चल रहे हैं। ज्ञात हो कि दिल्ली नगर निगम के पास राजधानी की प्राइमरी शिक्षा (कक्षा-एक से कक्षा-पांच) की जिम्मेदारी है। बच्चों के लिए यह वही समय होता है जब आगे की पढ़ाई के लिए उनकी नींव मजबूत की जाती है। लेकिन व्यवस्थाहीन स्कूलों में देश के नौनिहालों का क्या भविष्य सुरक्षित है, यह आज एक बड़ा प्रश्न है?।

Source: Dainik Jagran

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