स्कूल में बच्चों को पीटा तो होगी मजिस्ट्रेटी जांच
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दिशा-निर्देश
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पढ़ाई खराब होने के डर से अभिभावकों की शिकायत वापस लेने के बावजूद स्कूलों को करनी होगी जांच
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ञ्च सभी स्कूलों में शारीरिक दंड निगरानी प्रकोष्ठ का गठन होना चाहिए ञ्चस्कूलों में शिकायत पेटी रखी जाए, इसे रोजाना चेक किया जाए ञ्चकिसी भी शिकायत पर स्कूल प्रशासन की अपनी स्वतंत्र जांच टीम गठित करनी होगी ञ्चजिलाधिकारी और एसडीएम को अपने क्षेत्र के निगरानी प्रकोष्ठ से हर तीन महीने में बैठक करनी होगी
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नेशनल ब्यूरोत्ननई दिल्ली
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सोमवार को दिल्ली में पहली बार इन दिशा-निर्देशों का खाका सार्वजनिक किया गया। इसके अनुसार स्कूलों में शारीरिक दंड, मानसिक प्रताडऩा और आत्महत्या जैसे किसी भी मामले की शिकायत सामने आने वाले नजदीकी एसडीएम को तुरंत मौके पर पहुंचना होगा। अपनी छानबीन के अलावा एसडीएम को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आरोपी के खिलाफ स्कूल प्रशासन ने अपनी आंतरिक जांच शुरू की या नहीं। प्रताडऩा का मामला सामने आने पर पूरी जांच तक आरोपी को सस्पेंड रखा जाएगा। जांच पूरी होने के बाद पीडि़त बच्चे को मुआवजा दिलवाने की प्रमुख जिम्मेदारी भी एमडीएम की ही होगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की प्रमुख शांता सिन्हा ने दैनिक भास्कर को बताया कि नए दिशा-निर्देश पिछले कई सालों से सामने आ रहे मामलों को देखते हुए ही तैयार किया गया है। सभी तरह के मामलों में एसडीएम से जांच से पारदर्शिता बनी रहेगी। प्रताडऩा के कई गंभीर मामले होने के बावजूद बच्चे की पढ़ाई बीच में खराब होने के डर से अभिभावक शिकायत वापस ले लेते हैं। इसकी वजह से भी प्रताडऩा के मामले बढ़े हैं। आयोग ने ऐसे मामलों पर खास ध्यान देते हुए अपने दिशा-निर्देशों में प्रावधान किया है कि अभिभावकों के शिकायत वापस लेने के बावजूद स्कूल प्रशासन को गहन जांच करनी होगी। प्रशासन को अपनी जांच रिपोर्ट आयोग के स्थानीय दफ्तर में सौंपना होगा। Source: Dainik Bhaskar |
Tuesday, March 06, 2012
स्कूल में बच्चों को पीटा तो होगी मजिस्ट्रेटी जांच
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