Monday, March 05, 2012

निगम चुनाव: फाइल पर हस्ताक्षर को लेकर उपायुक्त से भिड़ंत, पार्षद गिरफ्तार

निगम चुनाव: फाइल पर हस्ताक्षर को लेकर उपायुक्त से भिड़ंत, पार्षद गिरफ्तार  


नरेला जोन में दो बार पार्षद और उपायुक्त के बीच हुई झड़प, पार्षद आचार संहिता से पहले कराना चाहते हैं क्षेत्र में विकास कार्य 

महज तीन दिनों में अपनी छवि सुधारने के लिए निगम पार्षद इस कदर उत्तेजित हैं कि वह अधिकारियों से झगड़ा करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि शुक्रवार को परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा कराने को लेकर एक पार्षद और उपायुक्त के बीच झड़प हो गई। बताया जाता है कि पार्षद, उपायुक्त पर फाइलों पर हस्ताक्षर के लिए दबाव बना रहा था, मगर बात नहीं बनने पर विवाद हो गया। मामले में पुलिस ने निगम पार्षद को गिरफ्तार कर लिया है। अलबत्ता, पार्षद ने भी अपने साथ मारपीट का आरोप लगाया है, लेकिन पुलिस मेडिकल जांच के बाद ही उपायुक्त के खिलाफ मामला दर्ज करेगी। 

पांच मार्च से दिल्ली में आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिसके बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी परियोजना को हरी झंडी नहीं दिखा सकती है। ऐसे में अपने क्षेत्र की अनेक योजनाओं को महज तीन दिनों के अंदर पूरा करने का निगम पार्षदों के ऊपर खासा दबाव है। इसी वजह से पार्षद प्रवीण गुप्ता शुक्रवार को उपायुक्त के कमरे में गया और अपनी फाइलों पर हस्ताक्षर करने की मांग की। लेकिन, उपायुक्त कुलदीप यादव ने फाइल पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। उपायुक्त की दलील थी कि मुख्य इंजीनियर की मंजूरी के बाद ही वह फाइल पर हस्ताक्षर करेंगे। इस मामले को लेकर दोनों में बहस हुई और मामला हाथापाई तक पहुंच गया। हालांकि थोड़ी देर में यह मामला शांत हो गया, लेकिन कार्यालय से बाहर आते ही अधिकारी और पार्षद एक बार फिर भिड़ गए। 

हालांकि मौके पर उपस्थित पार्षदों और अधिकारियों ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया। इसके बाद उपायुक्त की शिकायत पर पुलिस ने सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने और मारपीट करने के मामले में पार्षद को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि इस मामले में पार्षद ने भी उपायुक्त के खिलाफ पिटाई का आरोप लगाया है। पुलिस पार्षद की मेडिकल जांच करा रही है और जांच रिपोर्ट में पिटाई के निशान पाए जाने पर उपायुक्त के खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा। 

नरेला जोन की अध्यक्ष निशारानी मान का कहना है कि जोन के अधिकांश पार्षदों की फाइलें रुकी हुई हैं, जिसकी वजह से वार्डों में विकास कार्य ठ पड़े हुए हैं। पार्षदों को मुश्किल से बजट मिलता है, लेकिन फाइलों के रूकने से ये बजट भी लैप्स हो जाता है। प्रवीण गुप्ता ने कई बार परियोजना की साइट भी दिखाई थी, बावजूद उसकी परियोजना को हरी झंडी नहीं दी जा रही थी। खुद जोन अध्यक्ष की भी अनेक फाइलें रूकी हुई हैं। पार्षदों का आरोप है कि उपायुक्त हर फाइल पर आब्जेक्शन लगाते हैं। हालांकि पार्षदों का यह भी कहना है कि उपायुक्त की इस गलती के लिए उनसे झगड़ा करना कोई समाधान नहीं है। इस मामले में पार्षद को वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए थी। 


Source: Dainik Bhaskar

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