Monday, March 12, 2012

'स्कूलों में खत्म किया जाए सजा का चलन'


'स्कूलों में खत्म किया जाए सजा का चलन'


नई दिल्ली।। राष्ट्रीय बाल अधिकारिता आयोग (एनसीपीसीआर) ने सोमवार को जारी अपनी गाइडलाइंस में स्कूली बच्चों को हर तरह की सजा से निजात दिलाने की सिफारिश की। स्कूली बच्चों को किसी भी तरह की सजा से बचाने के लिए एनसीपीसीआर ने अपनी गाइडलाइंस में हर स्कूल में 'कॉरपोरल पनिशमेंट मॉनिंटरिंग सेल' (सीपीएमसी) नाम से एक स्पेशल सेल बनाने की सिफारिश की। आयोग का सुझाव है कि सेल स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली सजा, बाल यौन उत्पीड़न, भेदभाव व मानसिक प्रताड़ना जैसी शिकायतों की सुनवाई करेगा और उन पर उचित कार्रवाई करते हुए अगले 48 घंटों में मामले की रिपोर्ट आयोग के जिला स्तर के अधिकारियों को सौंपेगा। 

आयोग द्वारा जारी गाइडलाइंस में स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली सजा को पूरी तरह से खत्म करने के लिए तमाम तरह के कड़े कदम उठाने की बात कही गई है। एक ओर बच्चों को मिलने वाली सजा के आधार पर स्कूलों की समीक्षा करने की बात कही गई है, वहीं यह भी सुझाव है कि हर स्कूल की समीक्षा रिपोर्ट उसका अगला ऐकडेमिक सेशन शुरू होने से पहले सार्वजनिक की जाए। आने वाले समय में इस रिपोर्ट को ही स्कूल की मान्यता का आधार बनाने का सुझाव भी दिया गया है। 

इसमें टीचरों द्वारा यह लिखित आश्वासन देने की सिफारिश की गई है कि वे किसी भी बच्चे को शारीरिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं करेंगे और न ही उनके साथ किसी तरह का भेदभाव करेंगे। एनसीपीआर द्वारा जारी यह गाइडलाइंस आयोग द्वारा कराए गए एक सर्वे पर आधारित हैं, जिसमें तकरीबन 75 फीसदी स्कूली बच्चों ने अपने साथ किसी न किसी तरह की सजा मिलने की बात मानी है।

Source: नवभारत टाइम्स 

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