Saturday, March 31, 2012

RTE एक्ट उल्लंघन में दिल्ली टॉप 3 में


RTE एक्ट उल्लंघन में दिल्ली टॉप 3 में


बच्चों के लिए फ्री और कंपलसरी एजुकेशन सुनिश्चित कराने के लिए एक्ट लागू हुए दो साल हो गए लेकिन इसमें शिकायतों का अंबार लगा है। राइट टु एजुकेशन (आरटीई) एक्ट के उल्लंघन की हजारों शिकायतें आ रही हैं लेकिन नैशनल कमिशन फॉर चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) इन्हें निपटा नहीं पा रहा। पिछले एक साल में जितनी शिकायतें आईं उसमें महज 6 पर्सेंट ही निपटाई जा सकीं। एक्ट का उल्लंघन होने में दिल्ली टॉप थ्री स्टेट में शामिल है। पिछले एक साल में दिल्ली में आरटीई उल्लंघन के मामले 8 गुना बढ़े हैं लेकिन इन्हें निपटाने की चाल बेहद सुस्त है। 

दिल्ली में नर्सरी एडमिशन के दौरान आरटीई एक्ट के उल्लंघन की कई शिकायतें आती हैं। कभी स्कूल बिना डोनेशन दिए एडमिशन नहीं देता तो कभी लिस्ट में नाम होने के बाद भी बच्चे को एडमिशन नहीं मिलता। दिल्ली वाले डीसीपीसीआर या एनसीपीसीआर में शिकायत कर सकते हैं। जहां डीसीपीसीआर स्टाफ की कमी से जूझ रहा है, वहीं एनसीपीसीआर भी शिकायतों का निपटारा नहीं कर पा रहा है। एक्शन ऐड इंडिया के उमेश गुप्ता ने जब आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी तो पता चला कि आरटीई जितना लागू हुआ है उससे ज्यादा उसका उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में पैरंट्स शिकायत करें भी तो उसका फायदा नहीं हो पा रहा है। 

1 अप्रैल 2011 से 16 मार्च 2012 तक एनसीपीसीआर को 1761 शिकायतें मिली जिनमें से सिर्फ 100 का ही निपटारा किया जा सका। एक्ट लागू होने के बाद पहले साल कमिशन को 1089 शिकायतें मिलीं जिनमें 592 सुलझाई गईं। कमिशन ने एक्ट के उल्लंघन के मामले में सरकारी अधिकारियों को सिर्फ 26 समन भेजे। 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2011 में सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्थान से आई। फिर तमिलनाडु से और इसके बाद दिल्ली का नंबर है। दिल्ली से 61 शिकायतें आई जिसमें 32 को सुलझाया गया। राजस्थान से आई 771 शिकायतों में से 455 और तमिलनाडु की 128 शिकायतों में से 51 ही निपटाई जा सकी। पिछले एक साल में सबसे ज्यादा शिकायतें आंध्र प्रदेश और दिल्ली से आई। आंध्र प्रदेश की 780 में से एक भी शिकायत नहीं निपटाई गई जबकि दिल्ली की 517 शिकायतों में से 80 का निपटारा किया जा सका। 

Source: Nav Bharat Times

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